नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएं!
भक्तामर स्तोत्र के शुद्ध उच्चारण की टैक्नीक हमनें अपने religiousraaga channel पर देना प्रारम्भ किया है। आप वहाँ से शुद्ध उच्चारण को सीख-समझ सकते हैं।इसकी Link नीचे भी दी गयी है।
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आचार्य मानतुंगसूरिजी ने इस स्तोत्र में प्रभु आदिनाथ के गुणों और रूप की अत्यन्त अनुपम व्याख्या की है। इनके भावों को जब गहनरूप में जानने का प्रयास करते हैं तो अंतर में एक दिव्यता का अनुभव होने लगता है।
प्रथम दो श्लोक युग्म श्लोक कहे जाते हैं जिनमें आचार्यश्री ने प्रभु को विनयपूर्वक वन्दन् किया है। तथा प्रभु के दिव्य चरणों के गुणों को समझाया है। आचार्य कहते हैं - मैंनें प्रभु ! आपके दिव्य चरणों के स्पर्श से देवों के मुकुटों की मणियाँ प्रकाशित हो उठीं। अर्थात् आपके दिव्य चरणों के पावन स्पर्श मात्र से अंतर के कषाय रूपी अन्धकार का पूर्ण नाश हो जाता है। और आत्मा अपने शाश्वत दिव्य गुणों से प्रकाशित हो उठती है। मैंने आपके उन दिव्य चरणयुगल का आलम्बन लिया है। मेरे अंतर के सभी कषाय-पाप समाप्त हो गये अतः निश्चय ही मेरे भव-भव के पाप-कर्म क्षीण हो गये हैं।
यदि हम प्रभु के चरणों में पूर्ण भाव से अपने आप को समर्पित करते हैं और विनयपूर्वक वन्दन करते हैं तो हमारे सभी पूर्व संचित पाप-कर्म क्षीण हो जाते हैं। हम जो भी कष्ट आदि भोगते हैं वह हमारे ही संचित पाप-कर्मों का प्रतिफल ही है।
प्रथम श्लोक का विनयपूर्वक, नीचे दिये गये भावों के साथ यदि नियमित सुबह उठते ही, पठन करते हैं तो कुछ ही महीनों में हम अनुभव करेंगे कि हमारी विपदाएं, रुकावटें, तकलीफें स्वतः ही दूर हो रही हैं।
भाव इस प्रकार हैंः हे जिनेश्वर ! मैं पूर्ण भक्तिपूर्वक, समर्पित होकर, आपके दिव्य चरणों में वन्दन्, नमन कर रहा हूँ। मैंने अपने आपको आपके चरणों में समर्पित कर दिया है। आपके दिव्य चरणों का सहारा लिया है। आपके दिव्य प्रभाव और आशीर्वाद से मेरे अंतर के समस्त कषाय समाप्त हो रहे हैं, मेरी आत्मा ज्ञान ज्योति से प्रकाशित हो रही है, मैं दिव्य आत्म शक्ति का अनुभव कर रहा हूँ। मेरे भव-भव के संचित पाप-कर्म समाप्त होते जा रहे हैं।
द्वितीय श्लोक के भाव इस प्रकार हैंः हे प्रभु! मैं इन्द्र जितना ज्ञानी नहीं हूँ फिर भी मैं आपकी स्तुति का संकल्प करता हूँ। क्योंकि मैं भी आपका भक्त हूँ।
इस श्लोक का पूर्ण भक्तिभाव से नियमित भाववन्दन् स्वयं में विश्वास एवं दृढ़ संकल्प शक्ति की जागृति करता है।
नोटः भक्तामर स्तोत्र के शुद्ध उच्चारण टैक्नीक के वीडियो religiousraaga channel पर नियमित आते रहेंगे। आप चैनल subscribe कर, Regular updates प्राप्त कर सकते हैं।
यदि प्रथम दो श्लोकों के दिव्य प्रभावों के विषय में और अधिक जानने की आप जिज्ञासा रखते हैं तो आप ईमेल पर मुझसे संपर्क कर सकते हैं। -राजेश सुराना (पुणे) E-mail : religiousraaga@gmail.com
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